9789355625755 : Power Thinkingएक दिन में कई दिन का काम कैसे करेंतीन आदतों के गुलाम बनकर अपनी जिंदगी आज बदलिएहॉट 25 लिस्ट और रोल मॉडल से एक शक्तिशाली नेटवर्क कैसे बनाएँपावर शुक्रिया और पावर भाषा से जिंदगी को पावरफुल कैसे बनाएँखुद की डटकर मार्केटिंग क्यों और कैसे करेंबड़ी जीत का ग्लोबल माइंडसेट कैसे बनाएँरोना, बहानेबाजी, दोषारोपण, टाइमपास छोड़कर आज से इस पुस्तक में दी गई वर्कशीट और सलाह पर डटकर काम कीजिए। ऐसे जिंदगी बदलेगी मानो चमत्कार हो गया हो।
9789352665174 : Arabpatiyon Jaisa Kaise Sochen?क्या आपने स्वयं से कभी कहा है—हाँ, मैं अमीर बन सकता हूँ! हो सकता है कि कहा हो या फिर नहीं भी। यही अमीर बनने की पहली व सबसे बड़ी शर्त है। यदि इस पर गंभीरता से विचार-विमर्श... See more
9789355625755 : Power Thinkingएक दिन में कई दिन का काम कैसे करेंतीन आदतों के गुलाम बनकर अपनी जिंदगी आज बदलिएहॉट 25 लिस्ट और रोल मॉडल से एक शक्तिशाली नेटवर्क कैसे बनाएँपावर शुक्रिया और पावर भाषा से जिंदगी को पावरफुल कैसे बनाएँखुद की डटकर मार्केटिंग क्यों और कैसे करेंबड़ी जीत का ग्लोबल माइंडसेट कैसे बनाएँरोना, बहानेबाजी, दोषारोपण, टाइमपास छोड़कर आज से इस पुस्तक में दी गई वर्कशीट और सलाह पर डटकर काम कीजिए। ऐसे जिंदगी बदलेगी मानो चमत्कार हो गया हो।
9789352665174 : Arabpatiyon Jaisa Kaise Sochen?क्या आपने स्वयं से कभी कहा है—हाँ, मैं अमीर बन सकता हूँ! हो सकता है कि कहा हो या फिर नहीं भी। यही अमीर बनने की पहली व सबसे बड़ी शर्त है। यदि इस पर गंभीरता से विचार-विमर्श नहीं किया और यों ही अपने मन को समझा लिया कि ‘मैं अमीर बन सकता हूँ।’ तो असल बात बन न सकेगी। इससे पहले अमीर बनने की यात्रा शुरू हो पाना संभव नहीं है, क्योंकि यही जीवन बदलने वाली महान् यात्रा का प्रस्थान बिंदु है।सबसे पहले आप यह मानें कि आपने सचमुच में इस मुद्दे पर गंभीरता से विचार नहीं किया है और फिर पूरी सहजता से पूछें, ‘क्या मैं अमीर बन सकता हूँ?’ हाँ, यह चिंतन-प्रक्रिया थोड़ी जटिल है, इसलिए न तो मन में उठ रहे भावों की तह में जाने से घबराएँ और न ही जल्दबाजी करें। खुद को सहज व संयत रखें और बस अपने विचारों को साक्षी भाव से देखें।
9789355629043 : You Are The Placebo: Making Your Mind Matter | Build Your New Brain Book in Hindiक्या दवाओं या सर्जरी के बिना सिर्फ विचार से ही ठीक होना संभव है? 'यू आर द प्लेसबो' पुस्तक में डॉ. जो डिस्पेंजा ने ऐसे कई प्रलेखित मामले साझा किए हैं, जिन्होंने प्लेसबो पर विश्वास करके कैंसर, हृदय रोग, अवसाद, अपंग, गठिया, यहाँ तक कि पार्किंसंस रोग को भी ठीक किया। इसी तरह डॉ. जो बताते हैं कि कैसे दूसरे लोग बीमार हुए या किसी जादू-टोने के अभिशाप के शिकार होकर, या घातक बीमारी का गलत निदान होने के बाद मर गए। विश्वास इतना मजबूत हो सकता है कि दवा कंपनियाँ नई दवाओं का मूल्यांकन करते समय शरीर पर मन की शक्ति को बाहर करने के लिए डबल-ट्रिपल-ब्लाइंड रैंडमाइज्ड अध्ययनों का उपयोग करती हैं।डॉ. जो प्लेसबो प्रभाव के इतिहास और शरीर विज्ञान का पता लगाने से कहीं ज्यादा करते हैं। वह सवाल पूछते हैं- 'क्या प्लेसबो के सिद्धांतों को सिखाना संभव है और किसी बाहरी पदार्थ पर निर्भर हुए बिना किसी व्यक्ति के स्वास्थ्य और अंततः उसके जीवन में वही आंतरिक परिवर्तन उत्पन्न करना संभव है?' पुस्तक उन विश्वासों और धारणाओं को बदलने के लिए 'हो टू' ध्यान के साथ समाप्त होती है, जो हमें पीछे रखती हैं- उपचार में पहला कदम।