दुनिया बदल रही है, ब्यूरोक्रेसी बदल रही है और ब्यूरोक्रेट चुनने का एग्ज़ाम भी बदल रहा है । यह किताब इसी नये समीकरण यानी यूपीएससी 2.0 पर बात करती है और उसके लिए खुद को तैयार करने की तरकीबें बताती है। यह किताब मोटिवेशन की पारंपरिक किताबों से अलग अपने आसपास की वास्तविक दुनिया और खुद को समझने की नज़र देने वाली किताब है। इसका संदर्भ बेशक यूपीएससी है लेकिन असल में यह पढ़ने के तरीके और व्यक्तित्व तराशने का हुनर देने वाली किताब भी है। सो अगर खूब पढ़ाई के बावजूद सिलेक्शन से दूर हैं तो परीक्षा पर नहीं अपनी पढ़ाई के तरीके पर सोचना होगा । अगर जानकारी के बावजूद इन्टरव्यू में कम नंबर आते हैं तो आपको अपनी अभिव्यक्ति पर काम करना हो�... See more
दुनिया बदल रही है, ब्यूरोक्रेसी बदल रही है और ब्यूरोक्रेट चुनने का एग्ज़ाम भी बदल रहा है । यह किताब इसी नये समीकरण यानी यूपीएससी 2.0 पर बात करती है और उसके लिए खुद को तैयार करने की तरकीबें बताती है। यह किताब मोटिवेशन की पारंपरिक किताबों से अलग अपने आसपास की वास्तविक दुनिया और खुद को समझने की नज़र देने वाली किताब है। इसका संदर्भ बेशक यूपीएससी है लेकिन असल में यह पढ़ने के तरीके और व्यक्तित्व तराशने का हुनर देने वाली किताब भी है। सो अगर खूब पढ़ाई के बावजूद सिलेक्शन से दूर हैं तो परीक्षा पर नहीं अपनी पढ़ाई के तरीके पर सोचना होगा । अगर जानकारी के बावजूद इन्टरव्यू में कम नंबर आते हैं तो आपको अपनी अभिव्यक्ति पर काम करना होगा । अगर आप बार-बार डीमोटिवेट होते रहते हैं तो अपने सोचने के तरीके पर सोचने की ज़रूरत होगी । लेकिन यह सब किया कैसे जाता है? यही तो यह किताब सिखाती है।