"अकथ कथा राम एक ऐसे चरित्र हुए हैं, जिन्होंने जीवन के हर अनुशासन को प्रभावित किया है। जन्म से लगाकर मृत्युपर्यन्त, सृष्टि के आरम्भ से अन्त तक धरती - आकाश-ग्रह-नक्षत्र सब उसमें शामिल हैं। चाहे संस्कृति हो, साहित्य हो अथवा कलाएँ हों, अध्यात्म हो या भौतिकी हो, पृथ्वी का कण-कण राममय है। राम के बिना सब सूना है। सीता के बिना रसोई तक सूनी है। ये लोक के राम हैं। जो विश्व वन्द्य हैं, पूज्य हैं । वाल्मीकि से लगाकर आज तक न जाने कितने राम पर हज़ारों ग्रन्थ लिखे गये । लाखों-करोड़ों रंग रेखाओं में राम उकेरे गये। कथा - गाथा - आख्यान गीतों में गाये गये । नृत्य, नाट्य, लीला में अनन्त छबियों-मुद्राओं में व्यक्त किये गये, फिर भी राम अव्यक�... See more
"अकथ कथा राम एक ऐसे चरित्र हुए हैं, जिन्होंने जीवन के हर अनुशासन को प्रभावित किया है। जन्म से लगाकर मृत्युपर्यन्त, सृष्टि के आरम्भ से अन्त तक धरती - आकाश-ग्रह-नक्षत्र सब उसमें शामिल हैं। चाहे संस्कृति हो, साहित्य हो अथवा कलाएँ हों, अध्यात्म हो या भौतिकी हो, पृथ्वी का कण-कण राममय है। राम के बिना सब सूना है। सीता के बिना रसोई तक सूनी है। ये लोक के राम हैं। जो विश्व वन्द्य हैं, पूज्य हैं । वाल्मीकि से लगाकर आज तक न जाने कितने राम पर हज़ारों ग्रन्थ लिखे गये । लाखों-करोड़ों रंग रेखाओं में राम उकेरे गये। कथा - गाथा - आख्यान गीतों में गाये गये । नृत्य, नाट्य, लीला में अनन्त छबियों-मुद्राओं में व्यक्त किये गये, फिर भी राम अव्यक्त ही रह गये। आज भी वह अकथ कथा कही जा रही है । प्रस्तुत पुस्तक इसी का छोटा-सा अद्यतन विनम्र प्रयास है। रामचरित तो विराट है।"