अष्टावक्रगीता, एक प्राचीन संस्कृत ग्रंथ है जो वेदांत दर्शन के तत्वों पर आधारित है। यह ग्रंथ महाभारत के वन पर्व के अन्तर्गत स्थित है। अष्टावक्रगीता में राजा जनक और उनके शिष्य अष्टावक्र के बीच हुए संवाद को विवरणित किया गया है। इस ग्रंथ में अनेक आध्यात्मिक विषयों पर चर्चा की गई है, जैसे कि आत्मा, ब्रह्म, मोक्ष, समाधि, संयम, और इस प्रकार के अन्य विषय। यहाँ ज्ञान के महत्व, संदेहों का निराकरण, और अनन्तता के स्वरूप का वर्णन किया गया है। अष्टावक्रगीता का मुख्य उद्देश्य आत्मज्ञान और मोक्ष के मार्ग को समझाना है, जो वेदांत दर्शन के आधार पर चर्चा किया जाता है। इस ग्रंथ में आत्मा की अद्वितीयता, विश्व के मिथ्यात्व का निराक... See more
अष्टावक्रगीता, एक प्राचीन संस्कृत ग्रंथ है जो वेदांत दर्शन के तत्वों पर आधारित है। यह ग्रंथ महाभारत के वन पर्व के अन्तर्गत स्थित है। अष्टावक्रगीता में राजा जनक और उनके शिष्य अष्टावक्र के बीच हुए संवाद को विवरणित किया गया है। इस ग्रंथ में अनेक आध्यात्मिक विषयों पर चर्चा की गई है, जैसे कि आत्मा, ब्रह्म, मोक्ष, समाधि, संयम, और इस प्रकार के अन्य विषय। यहाँ ज्ञान के महत्व, संदेहों का निराकरण, और अनन्तता के स्वरूप का वर्णन किया गया है। अष्टावक्रगीता का मुख्य उद्देश्य आत्मज्ञान और मोक्ष के मार्ग को समझाना है, जो वेदांत दर्शन के आधार पर चर्चा किया जाता है। इस ग्रंथ में आत्मा की अद्वितीयता, विश्व के मिथ्यात्व का निराकरण, और मन की साक्षात्कार की अनुभूति के लिए साधनों का वर्णन किया गया है।