मनु शर्मा 1928 की शरत् पूर्णिमा को अकबरपुर (अब अंबेडकर नगर), फैजाबाद (उ.प्र.) में जनमे हनुमान प्रसाद शर्मा लेखन जगत् में ‘मनु शर्मा’ नाम से विख्यात हैं। लगभग डेढ़ दर्जन उपन्यास, दो सौ कहानियों और अनगिनत कविताओं के प्रणेता श्री मनु शर्मा की साहित्य साधना हिंदी की किसी भी खेमेबंदी से दूर, अपनी ही बनाई पगडंडी पर इस विश्वास के साथ चलती रही है कि ‘आज नहीं तो कल, कल नहीं तो परसों, परसों नहीं तो बरसों बाद मैं डायनासोर के जीवाश्म की तरह पढ़ा जाऊँगा’ अनेक सम्मानों और पुरस्कारों से विभूषित श्री मनु शमाऱ् ने साहित्य की लगभग सभी विधाओं में लिखा है; पर कथा आपकी मुख्य विधा है। ‘तीन प्रश्न’ ‘मरीचिका’, ‘के बोले माँ तुमि अबले... See more
मनु शर्मा 1928 की शरत् पूर्णिमा को अकबरपुर (अब अंबेडकर नगर), फैजाबाद (उ.प्र.) में जनमे हनुमान प्रसाद शर्मा लेखन जगत् में ‘मनु शर्मा’ नाम से विख्यात हैं। लगभग डेढ़ दर्जन उपन्यास, दो सौ कहानियों और अनगिनत कविताओं के प्रणेता श्री मनु शर्मा की साहित्य साधना हिंदी की किसी भी खेमेबंदी से दूर, अपनी ही बनाई पगडंडी पर इस विश्वास के साथ चलती रही है कि ‘आज नहीं तो कल, कल नहीं तो परसों, परसों नहीं तो बरसों बाद मैं डायनासोर के जीवाश्म की तरह पढ़ा जाऊँगा’ अनेक सम्मानों और पुरस्कारों से विभूषित श्री मनु शमाऱ् ने साहित्य की लगभग सभी विधाओं में लिखा है; पर कथा आपकी मुख्य विधा है। ‘तीन प्रश्न’ ‘मरीचिका’, ‘के बोले माँ तुमि अबले’, ‘विवशिता’ एवं ‘लक्ष्मणरेखा’ आपके प्रसिद्ध सामाजिक उपन्यास हैं। ‘पोस्टर उखड़ गया’ सामाजिक कहानियों का संग्रह है। ‘मुंशी नवनीतलाल’ और अन्य कहानियों में सामाजिक विकृतियों तथा विसंगतियों पर कटाक्ष करनेवाले तीखे व्यंग्य हैं। ‘द्रौपदी की आत्मकथा’, ‘अभिशप्त कथा’, ‘कृष्ण की आत्मकथा’ (आठ भागों में), ‘द्रोण की आत्मकथा’, ‘कर्ण की आत्मकथा’ और अब यह अत्यंत रोचक कृति—‘गांधारी की आत्मकथा’। सम्मान और अलंकरण-गोरखपुर विश्वविद्यालय द्वारा डी.लिट. की मानद उपाधि और उत्तर प्रदेश हिंदी समिति द्वारा ‘साहित्य भूषण’ विशेष उल्लेख्य हैं।.