लेखन में ऊपरी प्रयोग मुझे नहीं भाए, अगर कहानी कही जा रही है तो उसमें उसका बुनियादी तत्व यानी कोई कथा होनी ही चाहिए। इसका मतलब प्लॉट नहीं है, किसी फोटोग्राफर ने अगर तस्वीर उतारी है तो उसमें भी एक कहानी अंतर्निहित होती है। बाहरी तौर पर दिखने वाले प्रयोगों की बजाय मुझे परतदार कथानक पसंद हैं। कहानी अपनी संरचना में गहराई लिए होनी चाहिए। यही वजह है कि मेरे लिए कहानी लिखना एक मुश्किल और कहें तो काफी हद तक तकलीफदेह प्रक्रिया है। मैं तभी लिख पाता हूँ जब कहानी मेरे नियंत्रण से बाहर हो जाए और मैं सिर्फ उसका पीछा करूं। रोज घर से ऑफिस के बीच जाने कितनी कहानियाँ उगती हैं और सूर्यास्त के साथ डूब जाती हैं। वे हर तरफ बिखरी नजर �... See more
लेखन में ऊपरी प्रयोग मुझे नहीं भाए, अगर कहानी कही जा रही है तो उसमें उसका बुनियादी तत्व यानी कोई कथा होनी ही चाहिए। इसका मतलब प्लॉट नहीं है, किसी फोटोग्राफर ने अगर तस्वीर उतारी है तो उसमें भी एक कहानी अंतर्निहित होती है। बाहरी तौर पर दिखने वाले प्रयोगों की बजाय मुझे परतदार कथानक पसंद हैं। कहानी अपनी संरचना में गहराई लिए होनी चाहिए। यही वजह है कि मेरे लिए कहानी लिखना एक मुश्किल और कहें तो काफी हद तक तकलीफदेह प्रक्रिया है। मैं तभी लिख पाता हूँ जब कहानी मेरे नियंत्रण से बाहर हो जाए और मैं सिर्फ उसका पीछा करूं। रोज घर से ऑफिस के बीच जाने कितनी कहानियाँ उगती हैं और सूर्यास्त के साथ डूब जाती हैं। वे हर तरफ बिखरी नजर आती हैं। उन सबको दर्ज कर सकूँ, जीवन इतना अवकाश नहीं देता। कई किरदार मन के भीतर कई-कई सालों तक मुझसे बातचीत करते रहते हैं। सच तो यह है कि इनमें से बहुतों को मैं दर्ज करना चाहता हूँ, नहीं तो ये कभी सूरज की रोशनी नहीं देख सकेंगे और मेरे साथ ही मिट जाएंगे।