दुनिया के इतिहास में तीन यातना केंद्र ऐसे बनाए गए जहाँ से लौटकर बहुत कम व्यक्ति वापस आए। इन तीनों जेलों के बारे में कहा गया है कि यहाँ कुख्यात कैदी भेजे जाएँ लेकिन वहाँ वे लोग भेजे गए जो स्वतंत्रता प्रेमी थे। जो अपने देश को आजाद देखना चाहते थे। उन पर झूठे दोषारोपण किए गए और तरह-तरह की यातनाएँ दी गईं। इतना होने पर भी स्वतंत्रता प्रेमियों की माँग कम नहीं हुई अर्थात् जेल या यातना शिविर में व्यक्तियों की कमी नहीं रही। यहाँ पर सेलुलर जेल के बारे में विस्तार से चर्चा की गई है। नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के अनुसार सेलुलर जेल, फ्रांस की बेस्टिल जेल से अधिक खतरनाक थी जहाँ व्यक्ति को आत्म-हत्या करने के लिए बाध्य कर दिया जा... See more
दुनिया के इतिहास में तीन यातना केंद्र ऐसे बनाए गए जहाँ से लौटकर बहुत कम व्यक्ति वापस आए। इन तीनों जेलों के बारे में कहा गया है कि यहाँ कुख्यात कैदी भेजे जाएँ लेकिन वहाँ वे लोग भेजे गए जो स्वतंत्रता प्रेमी थे। जो अपने देश को आजाद देखना चाहते थे। उन पर झूठे दोषारोपण किए गए और तरह-तरह की यातनाएँ दी गईं। इतना होने पर भी स्वतंत्रता प्रेमियों की माँग कम नहीं हुई अर्थात् जेल या यातना शिविर में व्यक्तियों की कमी नहीं रही। यहाँ पर सेलुलर जेल के बारे में विस्तार से चर्चा की गई है। नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के अनुसार सेलुलर जेल, फ्रांस की बेस्टिल जेल से अधिक खतरनाक थी जहाँ व्यक्ति को आत्म-हत्या करने के लिए बाध्य कर दिया जाता था। नेताजी का सर्वप्रथम प्रयास सेलुलर जेल में बंदी समस्त स्वतंत्रता सेनानियों को मुक्त कराना था जो उन्होंने स्वयं सेलुलर जेल में जाकर स्वतंत्रता सेनानियों का आजाद किया और ‘दिल्ली चलो’। भारत देश को आजादी दिलाने में इस सेलुलर जेल का विशेष योगदान रहा। उन दिनों जो व्यक्ति इस जेल की कहानी सुनता वही इस अत्याचार के खिलाफ स्वतंत्रता की लड़ाई में भाग लेने लगता था। एक समय ऐसा भी आया कि जेल में स्वतंत्रता सेनानियों को रखने के लिए स्थान की कमी पड़ गई। वहीं से शुरू हुई योजनाबद्ध तरीके से अंग्रेजो की हत्या करने कि साजिश, जिसके परिणामस्वरूप अंग्रजो को भय के कारण भारत को आजाद करना पड़ा।