यायावर सिर्फ मेरी नहीं, उन तमाम युवाओं की कहानी है, जो समाज की उम्मीदों और अपनी आकांक्षाओं के बीच जूझते रहे। एक मध्यमवर्गीय परिवार में जन्म लेते ही हमारी राह तय कर दी जाती है—सपने हमारे होते हैं, पर मंज़िल कोई और चुनता है। गाँव की गलियों से लेकर बड़े शहरों की दौड़ तक, संघर्ष, असफलताएँ, सपनों का टूटना और फिर उनसे कुछ नया गढ़ना—यही इस यात्रा का सार है। जीवन के हर मोड़ पर मिली सीख, रिश्तों के बदलते रंग और अपनी पहचान तलाशने की जद्दोजहद... "यायावर" उन सभी को समर्पित है, जिन्होंने कभी खुद को भीड़ में खोते हुए पाया, लेकिन हार नहीं मानी।