पूर्ण रूप से स्वस्थ रहने और रोगों को जड़ से नष्ट करने का एकमात्र उपाय है―प्राकृतिक चिकित्सा। इस पद्धति को आज हमारे देश में ही नहीं विदेशों में भी व्यापक मान्यता मिली है। लोगों में प्राकृतिक संसाधनों द्वारा स्वस्थ रहने केप्रति गहरी रुचि है।
प्रस्तुत पुस्तक के लेखक धर्मचन्द सरावगी ने अपने जीवन का अधिकांश समय प्राकृतिक चिकित्सा के अध्ययन और अनुसंधान में लगाया। उनके लंबे अनुभव का सार है―प्राकृतिक चिकित्सा। जिसके पास भी यह पुस्तक रहेगी और वह इसका अनुसरण करता रहेगा, उसे डॉक्टर की कभी आवश्यकता नहीं पड़ेगी।