हेडमास्टर के यह कहने के बाद कि "अब तुम इस स्कूल की छात्रा हो!" तोत्तो-चान के लिए अगली सुबह का इंतजार मुश्किल हो गया। आज से पहले उसने किसी भी दिन का इतनी बेसब्री से इंतजार नहीं किया था। नन्ही तोत्तो-चान ने तोमोए गाकुएन स्कूल के बारे में महसूस किया था- एक ऐसा वातावरण जो उसे और उसकी कक्षा के सभी बच्चे को पसंद था, एक ऐसे हेडमास्टर जो पोशाक और पाठ्य-क्रम से कहीं ज्यादा ध्यान बच्चों के स्वादिष्ट खाने पर देते थे। सभी बच्चे संगीत सीखते, खेलों में भाग लेते, गर्मियों में कैंपिंग करते, गर्म पानी के सोते तक चलकर जाते, नाटक खेलते और खुले में रसोई बनाने का आनंद उठाते। बच्चों में कुछ ऐसे थे जो अच्छा गाते थे, कुछ खेलों में अच्छे थे और... See more
हेडमास्टर के यह कहने के बाद कि "अब तुम इस स्कूल की छात्रा हो!" तोत्तो-चान के लिए अगली सुबह का इंतजार मुश्किल हो गया। आज से पहले उसने किसी भी दिन का इतनी बेसब्री से इंतजार नहीं किया था। नन्ही तोत्तो-चान ने तोमोए गाकुएन स्कूल के बारे में महसूस किया था- एक ऐसा वातावरण जो उसे और उसकी कक्षा के सभी बच्चे को पसंद था, एक ऐसे हेडमास्टर जो पोशाक और पाठ्य-क्रम से कहीं ज्यादा ध्यान बच्चों के स्वादिष्ट खाने पर देते थे। सभी बच्चे संगीत सीखते, खेलों में भाग लेते, गर्मियों में कैंपिंग करते, गर्म पानी के सोते तक चलकर जाते, नाटक खेलते और खुले में रसोई बनाने का आनंद उठाते। बच्चों में कुछ ऐसे थे जो अच्छा गाते थे, कुछ खेलों में अच्छे थे और उनमें से एक भावी डॉक्टर भी था। और यह सब स्नेहशील और कल्पनाशील हेडमास्टर श्री कोबायाशी के कारण था, जो तोत्तो-चान को हमेशा कहा करते थे, "तुम सच में एक अच्छी बच्ची हो!" वे जो निस्संदेह ऐसे ही उत्साहजनक शब्द दूसरे छात्रों से भी कहते होंगे। उनका स्नेह छात्रों के उल्लासमय जीवन का सबसे प्रबल आधार था। उनका स्कूल बच्चों के लिए घर से दूर एक घर के समान था। कल की नन्ही तोत्तो-चान अब बड़ी होकर तेत्सुको कुरोयानागी के नाम से पूरे जापान में टेलीविजन की यशस्वी कलाकार के रूप में जानी जाती हैं। वह अपने स्कूल के बारे में ढेरों बातें बताती हैं। जापान से यूनिसेफ की इस सद्भावना दूत के पास उन सबको देने के लिए बहुत कुछ है जिनका बच्चों से किसी-न-किसी प्रकार का संबंध है- चाहे वे हों शिक्षक, माता-पिता, दादा-दादी या नाना-नानी-इनमें बच्चे तो शामिल हैं ही। जापान की यह लोकप्रिय पुस्तक पूरी शक्ति के साथ संदेश देती है- खिलने दो सैकड़ों फूल होने दो हजारों विचारधाराओं में संघर्ष