दयाशंकर मिश्र की किताब 'राहुल गांधी: सांप्रदायिकता, दुष्प्रचार और तानाशाही से ऐतिहासिक संघर्ष' भारतीय लोकतंत्र को नफ़रत से बचाने और मोहब्बत से सींचने के प्रयासों का दस्तावेज़ है. भारतीय राजनीति के पुनर्जागरण में जुटे राहुल गांधी की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ ने सांप्रदायिकता को सीधी चुनौती दी. नफ़रती तूफ़ान को राहुल गांधी के सत्याग्रह ने थाम लिया. किताब में राहुल गांधी के भाषणों का संग्रह, विश्लेषण शामिल है. राहुल गांधी के ख़िलाफ़ दुष्प्रचार, रचे गए मिथकों का सच और प्रतिवाद किताब की पूंजी है. इसमें 2011 के बाद से 'बदली हुई राजनीति' का पूरा हिसाब है. किताब राहुल गांधी के विचारों, उनके मूल्यों और 'आइडिया ऑफ इंडिया' के व�... See more
दयाशंकर मिश्र की किताब 'राहुल गांधी: सांप्रदायिकता, दुष्प्रचार और तानाशाही से ऐतिहासिक संघर्ष' भारतीय लोकतंत्र को नफ़रत से बचाने और मोहब्बत से सींचने के प्रयासों का दस्तावेज़ है. भारतीय राजनीति के पुनर्जागरण में जुटे राहुल गांधी की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ ने सांप्रदायिकता को सीधी चुनौती दी. नफ़रती तूफ़ान को राहुल गांधी के सत्याग्रह ने थाम लिया. किताब में राहुल गांधी के भाषणों का संग्रह, विश्लेषण शामिल है. राहुल गांधी के ख़िलाफ़ दुष्प्रचार, रचे गए मिथकों का सच और प्रतिवाद किताब की पूंजी है. इसमें 2011 के बाद से 'बदली हुई राजनीति' का पूरा हिसाब है. किताब राहुल गांधी के विचारों, उनके मूल्यों और 'आइडिया ऑफ इंडिया' के व्यापक फलक को पाठकों के सामने रखती है. इसके अलावा उस एजेंडे का भी पर्दाफाश करती है, जिसे हिंदुत्व की राजनीति ने कॉरपोरेट मीडिया के साथ मिलकर खड़ा किया है. 'अघोषित तानाशाही' के इस दौर में जब हिंदी पत्रकारिता सत्ता के आगे दंडवत है, ऐसे समय में दयाशंकर मिश्र की यह किताब लोकतंत्र और संविधान के सवालों पर जरूरी दस्तावेज है.