‘पिपासा’ मात्र एक पुस्तक ही नहीं, बल्कि लेखक के जीवन का वह अहम हिस्सा है जिसे आज तक लेखक ने किसी के साथ भी साझा नहीं किया। दुनिया के हर देश, हर शहर, हर गाँव की हर गली में प्रेम की बस एक ही भाषा होती है- वह है, मन की भाषा। इसे समझने के लिए आपको भाषा का ज्ञानी होना आवश्यक नहीं है। इसे कहने के लिए न तो आपको अपने होंठ हिलाने की ज़रूरत है, न ही समझने के लिए किसी अनुवादक की। यह तो चाहने वालों के हाव-भाव से ही समझ में आ जाता है। जब दो लोग प्रेम में होते हैं तो यह बात उनके आस-पास के लोगों से छुपी नहीं रह सकती। हाँ, मगर यह संभव है कि उन दोनों को यह बात समझने में थोड़ा समय लग जाए। प्रेम की एक और ख़ास बात यह है कि इसके लिए उम्र की कोई सीमा नही�... See more
‘पिपासा’ मात्र एक पुस्तक ही नहीं, बल्कि लेखक के जीवन का वह अहम हिस्सा है जिसे आज तक लेखक ने किसी के साथ भी साझा नहीं किया। दुनिया के हर देश, हर शहर, हर गाँव की हर गली में प्रेम की बस एक ही भाषा होती है- वह है, मन की भाषा। इसे समझने के लिए आपको भाषा का ज्ञानी होना आवश्यक नहीं है। इसे कहने के लिए न तो आपको अपने होंठ हिलाने की ज़रूरत है, न ही समझने के लिए किसी अनुवादक की। यह तो चाहने वालों के हाव-भाव से ही समझ में आ जाता है। जब दो लोग प्रेम में होते हैं तो यह बात उनके आस-पास के लोगों से छुपी नहीं रह सकती। हाँ, मगर यह संभव है कि उन दोनों को यह बात समझने में थोड़ा समय लग जाए। प्रेम की एक और ख़ास बात यह है कि इसके लिए उम्र की कोई सीमा नहीं होती। यह किसी को भी, कभी भी, कहीं भी हो सकता है। कुल मिलाकर प्रेम में पड़ने वालों के लिए उम्र, भाषा, संस्कृति, स्थान आदि कुछ भी मायने नहीं रखते, सिवाय इसके कि-जिसे हम चाहते हैं, क्या वह भी हमें चाहता है? ‘पिपासा’ बस इसी तथ्य की सार्थकता की तरफ़ बढ़ने की कथा है। एक व्यक्ति के जीवन के तीन समय-काल की कहानी, जिसमें वह तीन बार प्रेम से रूबरू होता है, उसे महसूस करता है, मगर कभी भी उसे हासिल नहीं कर पाता। तीनों बार शुरुआत तो सही होती है, मगर उसका अंत कैसा होता है, इसे जानने के लिए इस पुस्तक को पढ़ना ज़रूरी है।