रेगिस्तान के धोरों के बीच रहकर की गयी नासेटों का अंत अलग-अलग समय पर होता आया है। धोरों के बीच रहने वाले हम थरिये अनेकों नासेटें करते है। ऐसी ही एक नासेट के अंत से सृजन हुआ 'जोगी और जोगण' का, और इस नासेट को पूरा किया प्रिय Jhabar Jhabar Singh Dhatti नें, इन्होनें 'जोगी और जोगण के अनकहे किस्सों' की नासेट को एक किताब में बांध कर रेगिस्तान के आँचल को संजोया है। यह इनकी पहली किताब है। यह पिछले कई वर्षों से सोशल मीडिया पर लिख रहे है और सोशल मीडिया पर इन्हें 'ओ बख्त बेह गया' नाम से जानते और पढ़ते है। रेगिस्तान के रूँख से लेकर थळी तक को जानने के लिए इनकी लिखी हुई किताब 'जोगी और जोगण' को आप सभी जरूर पढ़े।