'कास्ट (CASTE)' एक शताब्दी से भी अधिक समय से भारत के सामाजिक और राजनीतिक विमर्श में एक ज्वलंत प्रसंग रही है। प्रत्युत, शिक्षाविदों और राजनेताओं द्वारा इसके उपयोग और दुरुपयोग के विषय में सत्य से परिचित होने का कोई गंभीर प्रयास नहीं किया गया है – वरन् उन्होंने कपटवश एवं कुत्सित इच्छानुरूप अपनी व्यक्तिगत स्वार्थपरकता से वशीभूत होकर सत्य को उनके द्वारा निर्मित छद्म आवरणों में स्वयं को सीमित रखने पर विवश किया है तथा सत्यान्वेषी शिक्षाविदों, लेखकों एवं पत्रकारों को भारतीय समाज के समक्ष शाश्वत सत्य को प्रकट कर सामाजिक परिवर्तन को गति प्रदान करने से रोकने का हर संभव प्रयास किया है।
"कास्ट (CASTE) का सत्य” संभवतः उन सभी ... See more
'कास्ट (CASTE)' एक शताब्दी से भी अधिक समय से भारत के सामाजिक और राजनीतिक विमर्श में एक ज्वलंत प्रसंग रही है। प्रत्युत, शिक्षाविदों और राजनेताओं द्वारा इसके उपयोग और दुरुपयोग के विषय में सत्य से परिचित होने का कोई गंभीर प्रयास नहीं किया गया है – वरन् उन्होंने कपटवश एवं कुत्सित इच्छानुरूप अपनी व्यक्तिगत स्वार्थपरकता से वशीभूत होकर सत्य को उनके द्वारा निर्मित छद्म आवरणों में स्वयं को सीमित रखने पर विवश किया है तथा सत्यान्वेषी शिक्षाविदों, लेखकों एवं पत्रकारों को भारतीय समाज के समक्ष शाश्वत सत्य को प्रकट कर सामाजिक परिवर्तन को गति प्रदान करने से रोकने का हर संभव प्रयास किया है।
"कास्ट (CASTE) का सत्य” संभवतः उन सभी विभाजनकारी शक्तियों के कुत्सित षड्यंत्रों तथा नैतिकता एवं सदाचार की दृष्टि से निरापद अनैच्छिक सहभागिता को उजागर करने का प्रथम गंभीर प्रयास है जो आज भारत में व्याप्त एवं विद्यमान सभी अमंगलकारी घटनाक्रम को 'कास्ट (CASTE)' के माध्यम से निष्पादित करने में रूचि रखते हैं।