संजय सिंह राजपूत ने DU (B.Com)/ drcc (it professional course) से पढ़ाई करके एक बड़े संस्थान और कम्पनी में 6 साल काम किया. अपने सपने पूरे ‘न’ होते हुए देख 1997 में नेटवर्क मार्केटिंग इंडस्ट्री में शुरुआत की, 6 महीने के अंदर अपनी नौकरी से त्यागपत्र देकर नेटवर्किंग को अपने जीवन का फुल-टाइम हिस्सा बनाया और एक बिज़नेस-मेन बने, अब एक शानदार लग्ज़री ज़िंदगी और जीवनशैली जी रहे हैं. आज उनके पास कई लग्ज़री जिसकावर्णनें, कई घर, अलग-अलग देशों की 45 विदेश यात्राओँ, पूरे भारत वर्ष में लाखों लोगों की टीम, और आज उनकी आमदनी हर मिनिट बढ़ रही है. 23 साल के मार्केटिंग अनुभव को लेकर इस पुस्तक के ज़रिए आप तक पहुँचने की एक सकारात्मक पहल है पुस्तक के बारे में: अगर वास्तव ... See more
संजय सिंह राजपूत ने DU (B.Com)/ drcc (it professional course) से पढ़ाई करके एक बड़े संस्थान और कम्पनी में 6 साल काम किया. अपने सपने पूरे ‘न’ होते हुए देख 1997 में नेटवर्क मार्केटिंग इंडस्ट्री में शुरुआत की, 6 महीने के अंदर अपनी नौकरी से त्यागपत्र देकर नेटवर्किंग को अपने जीवन का फुल-टाइम हिस्सा बनाया और एक बिज़नेस-मेन बने, अब एक शानदार लग्ज़री ज़िंदगी और जीवनशैली जी रहे हैं. आज उनके पास कई लग्ज़री जिसकावर्णनें, कई घर, अलग-अलग देशों की 45 विदेश यात्राओँ, पूरे भारत वर्ष में लाखों लोगों की टीम, और आज उनकी आमदनी हर मिनिट बढ़ रही है. 23 साल के मार्केटिंग अनुभव को लेकर इस पुस्तक के ज़रिए आप तक पहुँचने की एक सकारात्मक पहल है पुस्तक के बारे में: अगर वास्तव में आप अपनी ज़िंदगी में कुछ बढ़ा करना चाहते हैं, जो सपने आपने देखें हैं वो पूरे होते हुए देखना चाहते हैं तो यह पुस्तक आपके लिए है यह पुस्तक आपकी एक दोस्त और गुरु की तरह है, जो हर कदम पर आपका मार्ग दर्शन करेगी इस पुस्तक को लिखा है -संजय सिंह राजपूत’ ने जो इस इंडस्ट्री के एक जाने-माने और एक सफल लीडर और मल्टी मिलिनियर हैं वो सभी बातें, वो सभी तरीक़े, वो सभी सिद्धांत इस पुस्तक में दिए गए हैं जिन पर चल कर वो खुद मल्टी मिलिनियर बने हैं और उन्ही सिद्धांतो को सिखाकर हज़ारों लीडर को मिलिनियर बना चुके हैं और लोगों को लगातार सफल कर रहे हैं यह पुस्तक हर उस इंसान के लिए ज़रूरी है, चाहे वो किसी भी प्रोफेशन में हों, अपना बिज़नेस हो, नौकरि-पेशा वाले हों, विधार्थी हों, घरेलू महिलाएँ हों, रिटायर हुए कर्मचारी हों, हर वो व्यक्ति जो ज़िंदगी में कुछ अलग कुछ बढ़ा, कुछ अपना करना चाहता हो.