मैने विद्यार्थी जीवन में महसूस किया कि शारीरिक शिक्षा की प्रतियोगी परीक्षाओं हेतु ऐसी कोई हिन्दी भाषा की पुस्तक नहीं है जो शारीरिक शिक्षा के विद्यार्थी की नीव (बेस) को मजबूत बनाती हो, यहां मैं किसी पुस्तक को अनुपयोगी नहीं कह रहा हूं पुस्तके तो सभी अच्छी होती है लेकिन जब विद्यार्थी अपनी तैयारी आरंभ करता हैं तो विद्यार्थी पर अधिक मोटी (ज्यादा पेज की) किताब को देखकर मनोवैज्ञानिक दबाव आ जाता हैं। जिसके कारण विद्यार्थी की तैयारी प्रभावित हो जाती हैं। तभी मैने सोचा कि एक पुस्तक ऐसी तैयार करनी चाहिए जिसे देखकर विद्यार्थी पर पढ़ाई का मनोवैज्ञानिक दबाव उत्पन ना हो और जो शारीरिक शिक्षा की प्रतियोगी परीक्षाओं की त�... See more
मैने विद्यार्थी जीवन में महसूस किया कि शारीरिक शिक्षा की प्रतियोगी परीक्षाओं हेतु ऐसी कोई हिन्दी भाषा की पुस्तक नहीं है जो शारीरिक शिक्षा के विद्यार्थी की नीव (बेस) को मजबूत बनाती हो, यहां मैं किसी पुस्तक को अनुपयोगी नहीं कह रहा हूं पुस्तके तो सभी अच्छी होती है लेकिन जब विद्यार्थी अपनी तैयारी आरंभ करता हैं तो विद्यार्थी पर अधिक मोटी (ज्यादा पेज की) किताब को देखकर मनोवैज्ञानिक दबाव आ जाता हैं। जिसके कारण विद्यार्थी की तैयारी प्रभावित हो जाती हैं। तभी मैने सोचा कि एक पुस्तक ऐसी तैयार करनी चाहिए जिसे देखकर विद्यार्थी पर पढ़ाई का मनोवैज्ञानिक दबाव उत्पन ना हो और जो शारीरिक शिक्षा की प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले विद्यार्थी की नीव मजबूत करे क्योंकि प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले विद्यार्थियों के अक्सर बेसिक सवाल गलत हो जाते है जो सफलता मे बाधक सिद्ध होते है।