मातृभाषा के अतिरिक्त किसी भी भाषा को सीखना अपने आप में सुखद अनुभव है।
नई भाषा सीखनी, जीवन के अद्भुत अनुभव से गुजरने जैसा है क्योंकि वह सर्जनात्मक कार्य के अनंत अवसर खोल देता है। गांधी जी कहते थे कि हमें अधिक से अधिक भाषाओं का ज्ञान होना चाहिये। इससे हमें उस भाषा की संस्कृति का भी पता चलता है।
इस पुस्तक के माध्यम से ऐसे लोगों को भाषा सीखाने का प्रयास है, जिनकी मातृभाषा गुजराती नहीं है। गुजराती भाषा को बड़ी ही सरल एवं सहजता के साथ सीखने के तरीके यहां प्रस्तुत किए गए हैं। इस किताब में वर्णमाला, शब्द, वाक्य क्रमानुसार दर्शाये गये हैं। और प्रतिदिन जीवन में प्रयोग होने वाले संवादों को समाहित किया गया है। स्थिति सं�... See more
मातृभाषा के अतिरिक्त किसी भी भाषा को सीखना अपने आप में सुखद अनुभव है।
नई भाषा सीखनी, जीवन के अद्भुत अनुभव से गुजरने जैसा है क्योंकि वह सर्जनात्मक कार्य के अनंत अवसर खोल देता है। गांधी जी कहते थे कि हमें अधिक से अधिक भाषाओं का ज्ञान होना चाहिये। इससे हमें उस भाषा की संस्कृति का भी पता चलता है।
इस पुस्तक के माध्यम से ऐसे लोगों को भाषा सीखाने का प्रयास है, जिनकी मातृभाषा गुजराती नहीं है। गुजराती भाषा को बड़ी ही सरल एवं सहजता के साथ सीखने के तरीके यहां प्रस्तुत किए गए हैं। इस किताब में वर्णमाला, शब्द, वाक्य क्रमानुसार दर्शाये गये हैं। और प्रतिदिन जीवन में प्रयोग होने वाले संवादों को समाहित किया गया है। स्थिति संबंधित वाक्यों एवं संवादात्मक वाक्यों के चुनाव में भारतीय भाषा और संस्कृति में अधिकतम प्रयोग में आने वाले सरल वाक्यों को चुना गया है। इस पुस्तक का उद्देश्य यह है कि पाठक सीखने की प्रक्रिया के दौरान अभिव्यक्त होने की तथा संवाद साधने की कला से और भी समृद्ध बनें साथ ही भारतीय उपमहाद्वीप में तथा विश्व के कोने-कोने में बोली जाने वाली गुजराती के साथ जल्दी से संपर्क साध सकें।