प्रस्तुत पुस्तक में हमारे प्राचीन वाङ्मय, यथा—वेदों, पुराणों, ब्राह्मण ग्रंथों, उपनिषदों, आरण्यकों, रामायण, महाभारत एवं प्राचीन सनातन हिंदू ग्रंथों में उन्नत आधुनिक ज्ञान-विज्ञान के संदर्भ विवेचित हैं। इनमें ब्रह्मांड की श्याम ऊर्जा, ब्रह्मांड की उत्पत्ति का वैज्ञानिक विमर्श, सौरमंडल रहस्य, गुरुत्वाकर्षण का प्राचीन वैदिक व अन्य शास्त्रों का संदर्भ ज्ञान, प्रकाश की गति का वैदिक विमर्श, ग्रहण का वैज्ञानिक विवेचन आदि की शास्त्रोक्त व्याख्या की गई है। वेदों में लोकतंत्र, गणराज्य एवं राष्ट्र की प्राचीन संकल्पना, राष्ट्राध्यक्ष के चुनाव का वैदिक विमर्श, राजपद व उसकी मर्यादाएँ, राजा या शासनाध्यक्ष की वैद�... See more
प्रस्तुत पुस्तक में हमारे प्राचीन वाङ्मय, यथा—वेदों, पुराणों, ब्राह्मण ग्रंथों, उपनिषदों, आरण्यकों, रामायण, महाभारत एवं प्राचीन सनातन हिंदू ग्रंथों में उन्नत आधुनिक ज्ञान-विज्ञान के संदर्भ विवेचित हैं। इनमें ब्रह्मांड की श्याम ऊर्जा, ब्रह्मांड की उत्पत्ति का वैज्ञानिक विमर्श, सौरमंडल रहस्य, गुरुत्वाकर्षण का प्राचीन वैदिक व अन्य शास्त्रों का संदर्भ ज्ञान, प्रकाश की गति का वैदिक विमर्श, ग्रहण का वैज्ञानिक विवेचन आदि की शास्त्रोक्त व्याख्या की गई है। वेदों में लोकतंत्र, गणराज्य एवं राष्ट्र की प्राचीन संकल्पना, राष्ट्राध्यक्ष के चुनाव का वैदिक विमर्श, राजपद व उसकी मर्यादाएँ, राजा या शासनाध्यक्ष की वैदिक शपथ, प्राचीन बहुस्थानिक व्यवसाय के संदर्भ, उद्योग, व्यापार व वाणिज्य लोक वित्त के प्राचीन संदर्भ आदि की भी व्याख्या प्रस्तुत पुस्तक में की गई है।
पुस्तक में उन्नत शब्द विज्ञान, उन्नत भौतिकीय, रासायनिक व गणितीय ज्ञान के संदर्भों का भी विवेचन किया गया है। वैदिक सूर्योपासना के वैश्विक प्रसार और अमेरिकी पुरावशेषों पर भारतीय सांस्कृतिक प्रभाव के संदर्भों का भी विवेचन किया गया है। वेदों में सार्वभौम राष्ट्र व शासन-पद्धतियों की अवधारणा, राष्ट्र, राज्य व राजशास्त्रों के वैदिक विवेचनों की भी समीक्षा की गई है। कुल मिलाकर यह यशस्वी कृति भारतवर्ष के समृद्ध, समुन्नत, सर्वमान्य ज्ञान-परंपरा का एक वृहद् व व्यावहारिक विश्वकोश है, जिसका अध्ययन करना हमें नई ऊर्जा, उत्साह और आत्मविश्वास से समादृत करेगा।