डॉ. मनीष रंजन, वर्ष 2002 के आई. ए. एस. ऑफिसर हैं, जिन्होंने विभिन्न जनपदों में जिला अधिकारी के रूप में सफलतापूर्वक कार्य किया है। उत्तर प्रदेश से इनका गहरा नाता रहा है, चाहे वह काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के कैंपस में व्यतीत किए महत्त्वपूर्ण क्षण हों अथवा राज्य के 40 से अधिक जनपदों में शैक्षणिक, वृत्तिक एवं आध्यात्मिक भ्रमण | आपकी शैक्षणिक यात्रा नेतरहाट विद्यालय, नेतरहाट एवं काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी से प्रारंभ होकर क्रमश: हिंदू कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय से शिक्षा, IRMA, गुजरात से एम.बी.ए. एवं तत्पश्चात् मैनेजमेंट स्टडीज में पी. एच. डी. की उपाधि, कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी, बर्कले, अमेरिका से पब्लिक अफेयर मे... See more
डॉ. मनीष रंजन, वर्ष 2002 के आई. ए. एस. ऑफिसर हैं, जिन्होंने विभिन्न जनपदों में जिला अधिकारी के रूप में सफलतापूर्वक कार्य किया है। उत्तर प्रदेश से इनका गहरा नाता रहा है, चाहे वह काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के कैंपस में व्यतीत किए महत्त्वपूर्ण क्षण हों अथवा राज्य के 40 से अधिक जनपदों में शैक्षणिक, वृत्तिक एवं आध्यात्मिक भ्रमण | आपकी शैक्षणिक यात्रा नेतरहाट विद्यालय, नेतरहाट एवं काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी से प्रारंभ होकर क्रमश: हिंदू कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय से शिक्षा, IRMA, गुजरात से एम.बी.ए. एवं तत्पश्चात् मैनेजमेंट स्टडीज में पी. एच. डी. की उपाधि, कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी, बर्कले, अमेरिका से पब्लिक अफेयर में मास्टर डिग्री, ब्रिटिश सरकार की लब्धप्रतिष्ठित Chevening Fellowship (ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी) तक प्रसरित है।
इसके अतिरिक्त डॉ. रंजन ने जॉन्स हॉपकिंस यूनिवर्सिटी, अमेरिका, फ्रैंकफर्ट स्कूल ऑफ फाईनेंस एंड मैंनेजमेंट, जर्मनी, इंटरनेशनल ट्रेनिंग सेंटर, तुरीन, इटली एवं कोरिया डेवलपमेंट इन्स्टीट्यूट, सियोल, दक्षिण कोरिया इत्यादि से प्रशिक्षण प्राप्त कर अनवरत अपनी क्षमता में संवर्द्धन किया है।
डॉ. रंजन को आई. ए. एस. के अपने बैच में मेरिट में प्रथम स्थान प्राप्त करने पर 'डायरेक्टर्स गोल्ड मेडल', IAS फेज IV प्रशिक्षण में डॉयरेक्टर गोल्ड मेडल, लगातार दो वर्ष प्रधानमंत्री 'मनरेगा उत्कृष्टता पुरस्कार, भारत के महामहिम राष्ट्रपति महोदय द्वारा 'निर्मल ग्राम पुरस्कार', स्टार राफ्ट पुरस्कार, 'जापान स्पंदन पुरस्कार' भारत सरकार से भी सम्मानित किया जा चुका है। अध्ययन, अन्वेषण और चिंतन में रुचि तथा अध्यवसाय की प्रवृत्ति ने इनके लेखकीय व्यक्तित्व को उत्तरोत्तर उन्नत किया है, जिससे इनके लेखन में विषयवस्तु की बोधगम्यता और सहजता के साथ-साथ उसके प्रस्तुतीकरण की रोचक शैली एवं संप्रेषणीयता भी विद्यमान है।