तो आखिर क्या है आत्मा का सत्य? इसी प्रश्न का उत्तर इस पुस्तक में देने का प्रयास किया गया है और साथ ही अन्य बहुत रोचक विषयों पर भी चर्चा की गयी है। आज के समय में भी कुछ बातें हैं जिनका उत्तर जानने के लिए सभी उत्सुक होते हैं और इधर-उधर भटकते भी हैं लेकिन फिर भी संतोषजनक उत्तर नहीं मिलता। 'आत्मा' एक ऐसा ही विषय है जिसपर पूरी स्पष्टता नहीं है और इससे जुड़े ऐसे-ऐसे पहलू हैं जो इसके प्रति रोचकता बढ़ा देते हैं। आत्मा होता है या नहीं और यदि नहीं होता तो पुनर्जन्म कैसे होता है? ऐसे बहुत से प्रश्न हैं जिनका स्पष्ट उत्तर नहीं है और यह पुस्तक कुछ मौलिक प्रश्नों के उत्तर पाने का प्रयास है। विज्ञान और अध्यात्म में तारतम्य बैठाते ह�... See more
तो आखिर क्या है आत्मा का सत्य? इसी प्रश्न का उत्तर इस पुस्तक में देने का प्रयास किया गया है और साथ ही अन्य बहुत रोचक विषयों पर भी चर्चा की गयी है। आज के समय में भी कुछ बातें हैं जिनका उत्तर जानने के लिए सभी उत्सुक होते हैं और इधर-उधर भटकते भी हैं लेकिन फिर भी संतोषजनक उत्तर नहीं मिलता। 'आत्मा' एक ऐसा ही विषय है जिसपर पूरी स्पष्टता नहीं है और इससे जुड़े ऐसे-ऐसे पहलू हैं जो इसके प्रति रोचकता बढ़ा देते हैं। आत्मा होता है या नहीं और यदि नहीं होता तो पुनर्जन्म कैसे होता है? ऐसे बहुत से प्रश्न हैं जिनका स्पष्ट उत्तर नहीं है और यह पुस्तक कुछ मौलिक प्रश्नों के उत्तर पाने का प्रयास है। विज्ञान और अध्यात्म में तारतम्य बैठाते हुए ब्रह्म से आत्मा का क्या सम्बन्ध है? आत्मा का सत्य क्या है? आत्मा और चेतना में क्या समानता और क्या भेद है? कर्म भोग, कर्म योग तथा मोक्ष क्या है? क्या सच में स्वर्ग-नर्क होते हैं? ज्ञान, कर्म और भक्ति में श्रेष्ठ क्या है ? मस्तिष्क, चेतना और शरीर में क्या संबंध है? क्या चेतना या आत्मा का कोई अस्तित्व है जो मृत्यु के बाद भी रहता है? क्या सच में आत्मा मृत्यु के बाद एक यात्रा करता है? क्या सच में पुनर्जन्म होता है? ब्रह्म क्या है और क्या ब्रह ब्रह्माण्ड से अलग है? ऐसे बहुत से प्रश्नों का उत्तर इस पुस्तक में दिया गया है। यदि किसी भी व्यक्ति को ऐसे किसी भी प्रश्न का उत्तर जानने में रूचि हो तो यह पुस्तक निःसंदेह उनके लिए उपयोगी है। साथ ही अंत में एक नया दर्शन दिया गया है जो आज के समय में बहुत उपयोगी सिद्ध हो सकता है।