लाओत्से यह नहीं कह रहा है कि केंद्र आपका कहां है, यह कोई तय करना है ! वह तय ही है। लेकिन जरा आप नीचे उतर आओ और एक बार उस केंद्र को देख लो। फिर कुछ तय नहीं करना पड़ेगा कि केंद्र कहां है और क्या है। और यह नीचे उतर आना एक वापसी है, जस्ट ए कमिंग बैक, बैक टु होम | घर की वापसी है। तो लाओत्से कहता है, यह कोई साधना भी क्या है! अपने घर वापस लौट रहे हैं, जो सदा से अपना है। यह कोई क्रिया भी नहीं है। </br></br> सिर्फ विस्मरण है। एक मौका चाहिए स्मरण का । एक सुविधा चाहिए। उस सुविधा का नाम साधना है। </br> </br> चीन की रहस्यमयी ताओ परंपरा के उद्गता लाओत्से के वचनों पर ओशो के इन प्रस्तुत प्रवचनों के मुख्य विषय-बिंदु: सफलता के खतरे, अहंकार की पीड़ा और स्वर्ग ... See more
लाओत्से यह नहीं कह रहा है कि केंद्र आपका कहां है, यह कोई तय करना है ! वह तय ही है। लेकिन जरा आप नीचे उतर आओ और एक बार उस केंद्र को देख लो। फिर कुछ तय नहीं करना पड़ेगा कि केंद्र कहां है और क्या है। और यह नीचे उतर आना एक वापसी है, जस्ट ए कमिंग बैक, बैक टु होम | घर की वापसी है। तो लाओत्से कहता है, यह कोई साधना भी क्या है! अपने घर वापस लौट रहे हैं, जो सदा से अपना है। यह कोई क्रिया भी नहीं है। </br></br> सिर्फ विस्मरण है। एक मौका चाहिए स्मरण का । एक सुविधा चाहिए। उस सुविधा का नाम साधना है। </br> </br> चीन की रहस्यमयी ताओ परंपरा के उद्गता लाओत्से के वचनों पर ओशो के इन प्रस्तुत प्रवचनों के मुख्य विषय-बिंदु: सफलता के खतरे, अहंकार की पीड़ा और स्वर्ग का द्वार । एक ही सिक्के के दो पहलू सम्मान व अपमान, लोभ व भय । सिद्धांत व आचरण में नहीं, सहज-सरल स्वभाव में जीना। निष्क्रियता, नियति व शास्वत नियम में वापसी।</br> </br> रास्ते चलाने के लिए होते हैं, खड़े होने के लिए नहीं होते। लेकिन ताओ उसी पथ का नाम है जो चला कर नहीं पहुंचाता, रूका कर पहुंचाता है। लेकिन चूंकि रूक कर लोग पहुंच गए हैं, इसलिए उसे पथ कहते हैं। चूंकि लोग रूक कर पहुंच गए हैं, इसलिए उसे पथ कहते हैं और चूंकि दौड़-दौड़ कर भी लोग संसार के किसी पथ से कहीं नहीं पहुंचे हैं, इसलिए उसे पथ सिर्फ नाम मात्र को ही कहा जा सकता है। वह पथ नहीं है।