इस किताब को लिखने का मुख्य उद्देश्य यह है कि जिस तरीके से आज का युवा जल्दी अस्वस्थ हो रहा है तनाव और स्ट्रेस में जा रहा है, बच्चों को चिड़चिडापन और याद्दाश्त कम हो रही है, बच्चे अकेलापन पसंद कर रहे है, विडियो गेम और मोबाईल, टीवी का अत्यधिक उपयोग कर रहे है। बैठे बैठे टीवी देखते हुये पिज्जा, बर्गर और नूडल्स, मोमोज खाकर पेट को और शरीर को रोगो का घर बना रहे है उनमें चेतना और हमारे खाद्य पदार्थों की तरफ उनका ध्यान बांटना चाहती हूँ। हमारे भारत के संतो, मुनियों की देन योग प्राणायम, कसरत, खेल, व्यायाम आदि की तरफ वे वापस आए, आज का बच्चा हमारा कल का भविष्य है हम अपने भार के भविष्य को पूर्ण रूपेण स्वस्थ और प्रसन्न देखना चाहते है।... See more
इस किताब को लिखने का मुख्य उद्देश्य यह है कि जिस तरीके से आज का युवा जल्दी अस्वस्थ हो रहा है तनाव और स्ट्रेस में जा रहा है, बच्चों को चिड़चिडापन और याद्दाश्त कम हो रही है, बच्चे अकेलापन पसंद कर रहे है, विडियो गेम और मोबाईल, टीवी का अत्यधिक उपयोग कर रहे है। बैठे बैठे टीवी देखते हुये पिज्जा, बर्गर और नूडल्स, मोमोज खाकर पेट को और शरीर को रोगो का घर बना रहे है उनमें चेतना और हमारे खाद्य पदार्थों की तरफ उनका ध्यान बांटना चाहती हूँ। हमारे भारत के संतो, मुनियों की देन योग प्राणायम, कसरत, खेल, व्यायाम आदि की तरफ वे वापस आए, आज का बच्चा हमारा कल का भविष्य है हम अपने भार के भविष्य को पूर्ण रूपेण स्वस्थ और प्रसन्न देखना चाहते है।