यह किताब “सद हिकायात” और “जामेअ-अल-तुर्क़” की पहली जिल्द है जो क़ारईन के लिए पहली दफ़ा उर्दू तर्जुमे में शाएअ की जा रही है | यह किताब हज़रत शाहेआलम के करामात और ख़्वारिक़ व मनाक़िब और ख़िरक़ाजाते बुख़ारिया से मुतअल्लिक़ है इसमें मज़कूरा बातें मोअतमद अलैह रावियों और मुस्तनद सादिक़ीन के अक़वाल पर मबनी हैं । इस किताब का मक़सद अवाम तक मा’लूमात पहूँचाना और इस्लाह करना है । इस किताब का पहला हिस्सा "सद हिकायत" का है, जो की हज़रत शाहेआलम रहमतुल्लाह अलैह की करामात और हिकायतों का संग्रह (जमा किया) है, "सद हिकायत" किताब के मुसन्निफ हज़रत शफ़िउद्दीन जा’फ़र बदरेआलम बुख़ारी रहमतुल्लाह अलैह हैं । और इसी किताब का दूसरा हिस्सा "जामेअ'-अल-तुर्क़" ह... See more
यह किताब “सद हिकायात” और “जामेअ-अल-तुर्क़” की पहली जिल्द है जो क़ारईन के लिए पहली दफ़ा उर्दू तर्जुमे में शाएअ की जा रही है | यह किताब हज़रत शाहेआलम के करामात और ख़्वारिक़ व मनाक़िब और ख़िरक़ाजाते बुख़ारिया से मुतअल्लिक़ है इसमें मज़कूरा बातें मोअतमद अलैह रावियों और मुस्तनद सादिक़ीन के अक़वाल पर मबनी हैं । इस किताब का मक़सद अवाम तक मा’लूमात पहूँचाना और इस्लाह करना है । इस किताब का पहला हिस्सा "सद हिकायत" का है, जो की हज़रत शाहेआलम रहमतुल्लाह अलैह की करामात और हिकायतों का संग्रह (जमा किया) है, "सद हिकायत" किताब के मुसन्निफ हज़रत शफ़िउद्दीन जा’फ़र बदरेआलम बुख़ारी रहमतुल्लाह अलैह हैं । और इसी किताब का दूसरा हिस्सा "जामेअ'-अल-तुर्क़" है, जो हज़रत शाहेआलम रहमतुल्लाह अलैह के वालिद हज़रत क़ुत्बे आलम रहमतुल्लाह अलैह ने आप खुद को जो-जो ख़िरक़े कई सिलसिलों से मिले हैं वोह तरतीबवार लिखे हैं, इन दोनों किताब का तर्जुमा पीर सैय्यद बदरेआलम साहब ने कर के एक किताब की शक़्ल में आप क़ारईन के लिए पेश किया है । Yah kitaab "Sad Hikayat" aur "Jame Al-Turq" ki pehli jild hai jo qaraeen ke liye pehli dafa Urdu tarjume mein shaaye ki ja rahi hai. Yah kitaab Hazrat Shah Alam ke karaamaat, khwaariq, aur manaaqib aur Khirqa e Bukhari silsile se mutalliq hai. Is kitaab ka pehla hissa "Sad Hikayat" hai, jo Hazrat Shah Alam ki karamat aur hikayaton ka majmuah hai, is kitaab ke musannif Hazrat Shafiuddin Jafar Badre Alam Bukhari rahmatullah alaih hain. Aur is hi kitaab ka doosra hissa "Jame Al-Turq" hai, jo Hazrat Qutbe Alam ra ne aap khud ko jo Khirqe kai silsilon se mile hain unko tarateebwar likha hai. In donon kitaab ka majuma ke tour par ye kitaab Peer Saiyed BadreAalam Bukhari Sahab ne urdu tarjume me aapke samne pesh kiya hai. Aap Book order karen or ilm ke is dariya se faizyab hon.