सामान्यतःमहादेवीवर्माकीख्यातिरहस्यवादीकवयित्रीकेरूपमेंकाफीसमयतकस्थिररही।उनपरलगाएजानेवालेपलायनवादकेआरोपकायुक्तिसंगतखंडनकरकेमहादेवीकेसाहित्यमेंप्रकटमानवीयदृष्टिकोणकोसामनेलानेकेलिएइसपुस्तकमेंउनकीविश्वदृष्टिपरगहराअध्ययनहुआहै।महादेवीकेसाहित्यकोअधिकगहनताकेसाथसमझनेकेलिएउनकेजीवनकासूक्ष्मविवेचनअनिवार्यहै, अतःउनकेव्यक्तिगतअनुभवकेसाथउनकेजीवनपरबौद्धधर्म, संस्कृतकाव्य, स्वाधीनताआंदोलन, गांधी, तत्कालीनसमाज, संस्कृति, छायावादआदिकेप्रभावकेबारेमेंभीविचारकियागयाहै।इसपुस्तकमेंमहादेवीकीसभीसाहित्यिकविधाओंकाविश्लेषणहुआहै, जैसेकविता, गद्य, पत्रिकाकेसाथमहादेवीद्वा�... See more
सामान्यतःमहादेवीवर्माकीख्यातिरहस्यवादीकवयित्रीकेरूपमेंकाफीसमयतकस्थिररही।उनपरलगाएजानेवालेपलायनवादकेआरोपकायुक्तिसंगतखंडनकरकेमहादेवीकेसाहित्यमेंप्रकटमानवीयदृष्टिकोणकोसामनेलानेकेलिएइसपुस्तकमेंउनकीविश्वदृष्टिपरगहराअध्ययनहुआहै।महादेवीकेसाहित्यकोअधिकगहनताकेसाथसमझनेकेलिएउनकेजीवनकासूक्ष्मविवेचनअनिवार्यहै, अतःउनकेव्यक्तिगतअनुभवकेसाथउनकेजीवनपरबौद्धधर्म, संस्कृतकाव्य, स्वाधीनताआंदोलन, गांधी, तत्कालीनसमाज, संस्कृति, छायावादआदिकेप्रभावकेबारेमेंभीविचारकियागयाहै।इसपुस्तकमेंमहादेवीकीसभीसाहित्यिकविधाओंकाविश्लेषणहुआहै, जैसेकविता, गद्य, पत्रिकाकेसाथमहादेवीद्वाराचयनितऔरअनूदितसंस्कृतकाव्यकाभीविस्तारसेविवेचनहुआहै।महादेवीकीअबतकअसंकलित‘अबला’और‘विधवा’जैसीमहत्त्वपूर्णकविताओंकोहिंदीजगत्केसामनेलानेकाप्रयासभीहुआहै।महादेवीवर्माकाएकआश्चर्यजनकव्यक्तित्वहै, जिन्होंनेएकहीसमयमेंअनेकभूमिकाओंकासफलतापूर्वकनिर्वाहकियाहै, जैसेसाहित्यकार, संपादिका, कॉलेजकीप्रधानाचार्या, समाज-सेविकाइत्यादि।महादेवीकेजीवनकेउनविभिन्नपहलुओंसेएकहीउद्देश्यऔरएकहीप्रेरणापाईजातीहै।उनकाकहनाहै—"सबस्त्रियोंमेंजागृतिउत्पन्नकरने, उन्हेंअभावकाअनुभवकरानेकाभारविदूषियोंपरहैऔरबहुतसमयतकरहेगा।"असलमेंइसपुस्तकमेंअभिव्यक्तसभीव्याख्याएँयहप्रमाणितकरनेकाप्रयासहैकिमहादेवीअपनेसाहित्यकेमाध्यमसेएकतोस्त्रियोंकेमनमेंअन्यायपूर्णस्थितिकेप्रतिप्रश्नचिह्नलगानेकीप्रेरणादेतीहैंऔरदूसरा, स्त्रियोंकोअपनीस्वतंत्रताकेलिएआवाजउठानेकीशक्तितथासाहसप्रदानकरतीहैं।