लखनऊ प्राचीन काल में कोसल राज में आता था। प्राचीन भारत के 16 महाजनपदों में कोसल राज सबसे समृद्ध था, जिसकी राजधानी अयोध्या थी। एक लम्बे काल तक कोसल राज में सूर्य वंशीय राजाओं का शासन रहा। मर्यादा पुरूषोत्तम श्रीराम के पिता महाराज दशरथ 56वें सूर्य वंशीय राजा थे। महाराज दशरथ के बाद भगवान श्रीराम कोसल के राजा बने। कहा जाता है कि भगवान रामचन्द्र ने अपने अनुज लक्ष्मण को लखनऊ भेंट में दिया था। लक्ष्मण ने गोमती नदी के किनारे लखनऊ की स्थापना की थी। प्राचीन काल में लखनऊ को लक्ष्मणपुर, लखनपुर और लखनावती के नाम से जाना जाता था। लखनऊ के वर्तमान स्वरूप की स्थापना नवाब आसफउद्दौला ने 1775 ई० में की थी। 1775 में अवध के चौथे नवाब आसफ�... See more
लखनऊ प्राचीन काल में कोसल राज में आता था। प्राचीन भारत के 16 महाजनपदों में कोसल राज सबसे समृद्ध था, जिसकी राजधानी अयोध्या थी। एक लम्बे काल तक कोसल राज में सूर्य वंशीय राजाओं का शासन रहा। मर्यादा पुरूषोत्तम श्रीराम के पिता महाराज दशरथ 56वें सूर्य वंशीय राजा थे। महाराज दशरथ के बाद भगवान श्रीराम कोसल के राजा बने। कहा जाता है कि भगवान रामचन्द्र ने अपने अनुज लक्ष्मण को लखनऊ भेंट में दिया था। लक्ष्मण ने गोमती नदी के किनारे लखनऊ की स्थापना की थी। प्राचीन काल में लखनऊ को लक्ष्मणपुर, लखनपुर और लखनावती के नाम से जाना जाता था। लखनऊ के वर्तमान स्वरूप की स्थापना नवाब आसफउद्दौला ने 1775 ई० में की थी। 1775 में अवध के चौथे नवाब आसफउद्दौला ने अवध की राजधानी को फैजाबाद से लखनऊ स्थानांतरित किया था। वास्तुकला की दृष्टिकोण से अवध के नवाबों का इस शहर को भव्य रूप देने में काफी योगदान रहा। अवध के शासकों ने लखनऊ को अपनी राजधानी बनाकर इसे समृद्ध किया। बाद के नवाब अपने विलासित के कारण राज करने में अयोग्य साबित हुए। उनकी कमजोरी का फायदा उठाकर लार्ड डलहौजी ने अवध का अधिग्रहण करके ब्रिटिश साम्राज्य में शामिल कर लिया।