ज़िंदगी कुछ भी आसानी से नहीं सिखाती। वक्त के थपेड़े खाकर हम जो कुछ भी सीखते हैं, वह हमारे डी.एन.ए. में दर्ज होता जाता है। खुद को देखना, अपनी खूबियों और कमियों को पहचानना, खुद को लगातार बेहतर बनाने की कोशिश करते रहना-एक अनवरत सिलसिला है। हर किसी की जीवन- यात्रा अलग होती है; सबके संघर्ष, पीड़ा, परिस्तिथियाँ, जुझारूपन अलग होते हैं, परंतु हौसला सभी के लिए एक रामबाण औषधि है। प्रस्तुत पुस्तक लेखिका के अनुभवों का हिस्सा है, जो शायद हमारे भी बहुत काम आए, क्योंकि कुछ नया सीखने के लिए हर बार खुद ठोकर खाना जरूरी नहीं, हम दूसरे के जख्मों को देखकर भी खुद को बचाना सीख सकते हैं।दिन भर में अनेक बुरे, नेगेटिव, कुत्सित, वीभत्स विचार हमा... See more
ज़िंदगी कुछ भी आसानी से नहीं सिखाती। वक्त के थपेड़े खाकर हम जो कुछ भी सीखते हैं, वह हमारे डी.एन.ए. में दर्ज होता जाता है। खुद को देखना, अपनी खूबियों और कमियों को पहचानना, खुद को लगातार बेहतर बनाने की कोशिश करते रहना-एक अनवरत सिलसिला है। हर किसी की जीवन- यात्रा अलग होती है; सबके संघर्ष, पीड़ा, परिस्तिथियाँ, जुझारूपन अलग होते हैं, परंतु हौसला सभी के लिए एक रामबाण औषधि है। प्रस्तुत पुस्तक लेखिका के अनुभवों का हिस्सा है, जो शायद हमारे भी बहुत काम आए, क्योंकि कुछ नया सीखने के लिए हर बार खुद ठोकर खाना जरूरी नहीं, हम दूसरे के जख्मों को देखकर भी खुद को बचाना सीख सकते हैं।दिन भर में अनेक बुरे, नेगेटिव, कुत्सित, वीभत्स विचार हमारे मस्तिष्क में आते हैं। जैसे वे आए, उन्हें वैसे ही चले जाना चाहिए; उन विचारों का ठहर जाना हमें क्षय करता है। केवल सकारात्मक विचार हमें ऊर्जा देते हैं। जीवन में खुशी के खजाने की चाबी बनेगी यह व्यावहारिक पठनीय पुस्तक।