विजयनगर साम्राज्य की राजधानी हम्पी एक ऐसी ऐतिहासिक नगरी जिसका कोई सानी नहीं था। पुराणों में किष्किंधा नाम से विख्यात यह नगरी प्रभु श्रीराम, देवी सीता और हनुमान जी से संबंधित रही तो चौदहवीं सदी में पुन:स्थापित होकर इस नगरी ने अपने उत्थान और वैभव की पराकाष्ठा को प्राप्त किया। हम्पी के जीवंत खंडहर आज भी राजा कृष्ण देव राय, उनके मंत्री तेनाली राम सहित अष्ट दिग्गजों के समय के अपने उत्कर्ष के दिनों की गाथा कहते से प्रतीत होते हैं। फिर अचानक ऐसा क्या हुआ कि यह नगरी अपने पतन की ओर तीव्र गति से अग्रसर होती हुई विनाश लीला की शिकार हो गई। यह पुस्तक पाठकों के मध्य हम्पी नगर को अधिक नजदीक से देखने और समझने का कौतुहल पैदा �... See more
विजयनगर साम्राज्य की राजधानी हम्पी एक ऐसी ऐतिहासिक नगरी जिसका कोई सानी नहीं था। पुराणों में किष्किंधा नाम से विख्यात यह नगरी प्रभु श्रीराम, देवी सीता और हनुमान जी से संबंधित रही तो चौदहवीं सदी में पुन:स्थापित होकर इस नगरी ने अपने उत्थान और वैभव की पराकाष्ठा को प्राप्त किया। हम्पी के जीवंत खंडहर आज भी राजा कृष्ण देव राय, उनके मंत्री तेनाली राम सहित अष्ट दिग्गजों के समय के अपने उत्कर्ष के दिनों की गाथा कहते से प्रतीत होते हैं। फिर अचानक ऐसा क्या हुआ कि यह नगरी अपने पतन की ओर तीव्र गति से अग्रसर होती हुई विनाश लीला की शिकार हो गई। यह पुस्तक पाठकों के मध्य हम्पी नगर को अधिक नजदीक से देखने और समझने का कौतुहल पैदा करती है। हम्पी आने वाले पर्यटक इन खंडहरों में आज भी इसके वैभव और भव्यता को महसूस कर सकते हैं। प्रस्तुत पुस्तक न केवल देश के गौरवशाली मध्य युगीन इतिहास में झाँकने का एक प्रयास है वरन विश्व धरोहर स्थल में शामिल इस पर्यटन स्थल में आने के लिए निश्चत रूप से पाठकों को प्रेरित करेगी तथा उनके लिए एक गाइड का भी कार्य करेगी।