इस संग्रह में शामिल कहानियाँ, हमारी दुनिया में नई शक्ति से फैलते अन्याय और असमानता के अंधेरे के साथ ही उपभोक्तावादी समाज की प्रदर्शनप्रियता, झूठी रंगीनियों और इनसे पैदा हताशा-टूटन को उजागर करती हैं। यहाँ राजनीति-कॉरपोरेट-धर्म-पर्यावरण के संकट मानवीय और अमानवीय संबंधों के साथ एक नए शिल्प और चकित करने वाली भाषा में प्रकट होते हैं। शिल्प के माने यह नहीं हैं कि भाषिक करतब को ही कहानी मान लिया जाए जहां परंपरा की गाँठें, इतिहास की उलझनें और साधारण मनुष्य के जीवन की सचाइयाँ ही गायब हों, बल्कि ये कहानियाँ अपने ही अनजाने और मुश्किल रास्तों पर चलते हुए तलघर, भग्न गलियों, मलिन बस्तियों, जंगल, कब्रिस्तान और श्मशान, मल्�... See more
इस संग्रह में शामिल कहानियाँ, हमारी दुनिया में नई शक्ति से फैलते अन्याय और असमानता के अंधेरे के साथ ही उपभोक्तावादी समाज की प्रदर्शनप्रियता, झूठी रंगीनियों और इनसे पैदा हताशा-टूटन को उजागर करती हैं। यहाँ राजनीति-कॉरपोरेट-धर्म-पर्यावरण के संकट मानवीय और अमानवीय संबंधों के साथ एक नए शिल्प और चकित करने वाली भाषा में प्रकट होते हैं। शिल्प के माने यह नहीं हैं कि भाषिक करतब को ही कहानी मान लिया जाए जहां परंपरा की गाँठें, इतिहास की उलझनें और साधारण मनुष्य के जीवन की सचाइयाँ ही गायब हों, बल्कि ये कहानियाँ अपने ही अनजाने और मुश्किल रास्तों पर चलते हुए तलघर, भग्न गलियों, मलिन बस्तियों, जंगल, कब्रिस्तान और श्मशान, मल्टी स्टोरी इमारतों और मधुमक्खी के छत्तों तक एक जैसी सहजता से जाती हैं।