वह सात अक्तूबर की रात खार, मुंबई स्थित अपने घर में सोया था, और जब पंद्रह तारीख़ की रात वह वापस जागा था तो उसके आसपास सबकुछ बदल चुका था— न सिर्फ़ वह अपनी उम्र के पच्चीस-तीस साल पार कर गया था, बल्कि उसका शरीर भी काफ़ी हद तक बदल चुका था, वह साढ़े इक्कीस साल के युवा से, उन्चास साल का अधेड़ हो चुका था। एक आम से बंगले में सो कर वह एक आलीशान पैलेस में पहुंच गया था। जगह बदल कर मुंबई से न्यूयार्क हो चुकी थी और अब वह डेविड फ्रांसिस नाम के एक मस्तमौला युवक के बजाय न्यूयार्क के टाॅप अमीरों में शामिल राईन स्मिथ बन चुका था। अगर वह किसी की क़ैद में होता, उस पर होल्ड बनाने के लिये कोई सामने होता— तो बड़े आराम से वह इस कायापलट को उसकी साज़... See more
वह सात अक्तूबर की रात खार, मुंबई स्थित अपने घर में सोया था, और जब पंद्रह तारीख़ की रात वह वापस जागा था तो उसके आसपास सबकुछ बदल चुका था— न सिर्फ़ वह अपनी उम्र के पच्चीस-तीस साल पार कर गया था, बल्कि उसका शरीर भी काफ़ी हद तक बदल चुका था, वह साढ़े इक्कीस साल के युवा से, उन्चास साल का अधेड़ हो चुका था। एक आम से बंगले में सो कर वह एक आलीशान पैलेस में पहुंच गया था। जगह बदल कर मुंबई से न्यूयार्क हो चुकी थी और अब वह डेविड फ्रांसिस नाम के एक मस्तमौला युवक के बजाय न्यूयार्क के टाॅप अमीरों में शामिल राईन स्मिथ बन चुका था। अगर वह किसी की क़ैद में होता, उस पर होल्ड बनाने के लिये कोई सामने होता— तो बड़े आराम से वह इस कायापलट को उसकी साज़िश करार दे लेता, लेकिन वह आज़ाद था और उस अमीर शख़्स के सारे अधिकार रखता था। चाहता तो अगले ही दिन मुंबई वापस लौट सकता था— तो ऐसे में इस तमाशे को आख़िर किसकी साज़िश करार देता… जब ऐसा कोई साज़िशकर्ता सामने नहीं था, तो फिर यह चमत्कार हुआ कैसे?