MALHAR CLASS 6 HINDI 2024 EDITION 671 मल्हार, कक्षा 6, (हिंदी)
सम्पूर्ण शिक्षा प्रक्रिया में भाषा का केंद्रीय स्थान है। भाषा की शिक्षा ही विभिन्नस्तरों पर विद्यार्थियों के दृिष्टकोण और मूल्यों का विकास करती है। किसी भी नागरिक से क्या-क्या अपेक्षाएँ होती हैं, इन्हें ध्यान में रखते हुए औपचारिक विद्यालयी शिक्षा व्यवस्था के सभी चरणों में भाषा शिक्षण के मख्यु लक्ष्य इस तरह से रेखां कित किए जा सकते हैं— सजनशीृ लता; ज्ञान परंपरा और प्रयोग; स्वतंत्र अध्येता एवं आलोचनात्मक चितं न; राष्ट्रीय एवं सांस्कृति क चेतना; और स्वास्थ्य एवं खशुहाली। भाषा की सजनशीृ लता से आशय है कि विद्यार्थियों में भाषा के संवादधर्मी स्वरूप के
रचनात्म�... See more
MALHAR CLASS 6 HINDI 2024 EDITION 671 मल्हार, कक्षा 6, (हिंदी)
सम्पूर्ण शिक्षा प्रक्रिया में भाषा का केंद्रीय स्थान है। भाषा की शिक्षा ही विभिन्नस्तरों पर विद्यार्थियों के दृिष्टकोण और मूल्यों का विकास करती है। किसी भी नागरिक से क्या-क्या अपेक्षाएँ होती हैं, इन्हें ध्यान में रखते हुए औपचारिक विद्यालयी शिक्षा व्यवस्था के सभी चरणों में भाषा शिक्षण के मख्यु लक्ष्य इस तरह से रेखां कित किए जा सकते हैं— सजनशीृ लता; ज्ञान परंपरा और प्रयोग; स्वतंत्र अध्येता एवं आलोचनात्मक चितं न; राष्ट्रीय एवं सांस्कृति क चेतना; और स्वास्थ्य एवं खशुहाली। भाषा की सजनशीृ लता से आशय है कि विद्यार्थियों में भाषा के संवादधर्मी स्वरूप के
रचनात्मक पक्ष के प्रति समझ बने और वे विभिन्न वैयक्तिक, सामाजिक, सांस्कृति क निर्मिति यों के अनरूप भ ु ाषा का सजनशी
ृ ल प्रयोग कर सकें । विद्यार्थी अपनी बात को अपने ढंग से कह सकें और अपनी स्वाभाविक सजनशीृ लता एवं कल्पना को पोषित कर सकें । ज्ञान-परंपरा और प्रयोगभाषा का एक महत्वपूर्ण लक्ष्य है। इसमें परंपरागत ज्ञान और उसका अभिनव प्रयोग शामिल है जिससे विद्यार्थियों में अपने रीति-रिवाज़ों और परंपराओ के प्र ं ति विवेकपूर्ण सरुु चि पैदा होसके । भाषा पढ़ने-पढ़ाने का लक्ष्य यह भी है कि विद्यार्थी स्वतंत्र अध्येता एवं आलोचनात्मक चितं क बनें। साथ ही साथ वर्तमान और अतीत की घटनाओ कं ा तार्किक विश्लेषण कर सकें । विद्यार्थियों में राष्ट्रीय एवंसां
स्कृति क चेतना के विकास को ध्यान में रखते हुए परिवेशीय सजगताव आत्मीय सम्बद्धता का भाव पैदा हो, जो भारतीय सभ्यता और अस्मिता निर्माण की बहुविध रंगतों की सतत निर्मिति है। भाषा को समझने की क्षमता विकसित करना व्यक्तिगत, सामाजिक, नैतिक, राष्ट्रीय मूल्यों का विकास करना भी है। स्वास्थ्य एवंखशुहाली से आशय है कि विद्यार्थी शारीरिक व मानसिक रूप से स्फूर्त हों, उनमें स्वस्थ दृष्टिकोण एवंआदतों का विकास हो और भावनात्मक एवं सामाजिक रूप से परिपक्वता आए। भाषा का सीखना-सिखाना सभी विषय क्षेत्रों के प्रति समझ बनाने के साथ-साथ शिक्षार्थी के भावात्मक, संज्ञानात्मक और सामाजिक स्वास्थ्य के लिए भी महत्वपूर्ण हो तथा वे भाषिक, प्राकृतिक एवं सामाजिक पर्यावरण, खेल,
कला, विज्ञान, पर्यटन और नीति के प्रति सचेत हो।